Monday, August 10, 2009

SORRY




माँ के आँचल की थपकी सी लगती है सॉरी ।


बाबा के कंधे पर झपकी सी लगती है सॉरी ।


बहना के प्यारी बातों सी लगती है सॉरी ।


भइया के संग जागी रातों सी लगती है सॉरी ।


खेल खेल में कभी हसाती कभी रुलाती ।


दोनों हांथो से कान पकड़ कर जब वो बोले सॉरी ।


पहले से भी ज्यादा भोली लगती है सॉरी ।


यारों के संग कभी कभी सिकवे और सिकायत में ।


मिटटी के घरौंदों सी लगती है सॉरी ।


रिश्तों की इस खीचा तनी में हर पल ।


दो दिलों के बीच जुड़ी डोर सी लगती है सॉरी ।


बातों बातों में जाने कितने दिल दुखाये है ।


सौ ग़मों की एक दावा सी लगती है सॉरी ।


एहसास हुआ हमे जिस पल अपनी गलती का ।


खामोश होकर तुमसे कह जाता हूँ मैं सॉरी ।


जाते जाते आखरी वक्त तुम स्वीकार करो मेरा ये सॉरी ।