माँ के आँचल की थपकी सी लगती है सॉरी ।
बाबा के कंधे पर झपकी सी लगती है सॉरी ।
बहना के प्यारी बातों सी लगती है सॉरी ।
भइया के संग जागी रातों सी लगती है सॉरी ।
खेल खेल में कभी हसाती कभी रुलाती ।
दोनों हांथो से कान पकड़ कर जब वो बोले सॉरी ।
पहले से भी ज्यादा भोली लगती है सॉरी ।
यारों के संग कभी कभी सिकवे और सिकायत में ।
मिटटी के घरौंदों सी लगती है सॉरी ।
रिश्तों की इस खीचा तनी में हर पल ।
दो दिलों के बीच जुड़ी डोर सी लगती है सॉरी ।
बातों बातों में जाने कितने दिल दुखाये है ।
सौ ग़मों की एक दावा सी लगती है सॉरी ।
एहसास हुआ हमे जिस पल अपनी गलती का ।
खामोश होकर तुमसे कह जाता हूँ मैं सॉरी ।
जाते जाते आखरी वक्त तुम स्वीकार करो मेरा ये सॉरी ।
sorry.............
ReplyDeletesorry.........
sorry..........
____________bahut umda sorry !
दो दिलों के बीच जुड़ी डोर सी लगती है सॉरी ।
ReplyDeleteबातों बातों में जाने कितने दिल दुखाये है ।
सौ ग़मों की एक दावा सी लगती है सॉरी ।
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Bahut badiya..
-Sheena