<@>'<@>
वो हसती है, मुस्कराती है,
वो सजाती है, सवरती है,
खुद पर इतराती है,
और फिर खुश हो जाती है,
लोग आते है उसे देखने
देखते है उसके रंग रूप को,
आकार को , यौवन को,
जाती को उसके ओहदे को,
वो नहीं देखते उसके,
कोमल भावनाओं को,
चहरे की ख़ुशी को,
आँखों के सपनो को,
मन की सुन्दरता को,
सभी इसी तरह आते है,
वो भी इसी तरह आती है,
लोग बार बार देखकर जाते है,
वो बार बार टूट जाती है,
पर हर बार से ज्यादा टूटती है,
लोग लगते है बोलियाँ,
उसके अरमानो की, खुशियों की,
माँ के आशुओं की,
बाप के पगड़ी की ,
और अंत में आता है एक सौदागर,
ले जाने के लिए उसे,
और वो छोड़ जाती है सब कुछ ,
यहाँ तक की अपना नाम भी,
तब जाकर शायद ऐसे ही,
हर लड़की दुल्हन बनती है,
naye saal ki bahut bahut shubhkaamnaayein
ReplyDelete-Sheena